क्या 70 सालों से जल रही अखंड ज्योति के पीछे कोई रहस्य है?
देशभर में नवरात्रि का त्योहार जोरों से चल रहा है. इन दिनों श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में दर्शन और पूजा के लिए जा रहे हैं। इसी क्रम में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित मां कालिका मंदिर में इन दिनों भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आगे जानते हे की क्या सच में इस मंदिर में 70 साल से चमत्कार हो रहे हे.
देहरादून का मां कालिका मंदिर: अखंड ज्योति और चमत्कारों का संगम
नवरात्रि के पावन अवसर पर, देहरादून का मां कालिका मंदिर श्रद्धालुओं से गुलजार है। 11 मई 1954 को श्री बालयोगी महाराज के निर्देश पर स्थापित यह मंदिर, अखंड ज्योति और चमत्कारों के लिए जाना जाता है।
अखंड ज्योति का अनंत प्रकाश:
- 1954 में स्थापित, मां कालिका मंदिर की ज्योति 70 वर्षों से लगातार जल रही है।
- यह ज्योति भक्तों में आस्था और उम्मीद का प्रतीक बन गई है।
- मान्यता है कि इस ज्योति के दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यज्ञ कुंड का अदम्य उत्साह:
- मंदिर का यज्ञ कुंड भी अखंड रूप से प्रज्वलित है।
- यह कुंड भक्तों में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है।
- यहां यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता रहता है।
बालयोगी महाराज का सपना:
- मंदिर का निर्माण श्री बालयोगी महाराज के सपने को पूरा करता है।
- जयपुर में मां कालिका के स्वरूप का दर्शन करने के बाद,
- उन्होंने देहरादून में इस भव्य मंदिर की स्थापना की।
चमत्कारों की धरती:
- मां कालिका मंदिर चमत्कारों के लिए भी जाना जाता है।
- कई भक्तों को यहां दर्शन और पूजा के बाद मनोवांछित फल प्राप्त हुए हैं।
- मां कालिका को अपनी आराधिका मानने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
नवरात्रि का उत्सव:
- नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष उत्सव का आयोजन होता है।
- मां कालिका की नौ दिवसीय पूजा-अर्चना की जाती है।
- भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है।
मंदिर समिति की पहल:
- श्री कालिका माता मंदिर समिति द्वारा अनेक जनकल्याणकारी कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
- गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
आस्था का केंद्र:
- देहरादून का मां कालिका मंदिर, श्रद्धा, चमत्कार और सामाजिक सेवा का संगम है।
- यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि मानवता और परोपकार की भावना को भी बढ़ावा देता है।
अंतिम संस्कार:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मंदिरों में अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं है। मृतकों का अंतिम संस्कार श्मशान घाटों में ही किया जाना चाहिए।
देहरादून का मां कालिका मंदिर, अपनी अखंड ज्योति, चमत्कारों और सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और देहरादून की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
आपकी राय कमेंट में जरूर से बताये…… जय कलिका माँ…..