Lok Sabha election 2024: in Surat BJP candidate Mukesh Dalal won uncontested -Shocking news.

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गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी के मुकेश दलाल चुनाव होने से पहले ही जीत गए हैं.

उनके ख़िलाफ़ कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा रद्द हो चुका था और बाकी निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए थे. इसलिए उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया.

मुकेश दलाल का इस तरह से निर्विरोध निर्वाचित होने का मामला पूरे देश के मीडिया में छाया हुआ है.

सूरत लोकसभा सीट के सात दशक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है. इस प्रकरण में बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

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कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या की है. जबकि बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थकों ने हलफनामा देकर कहा है कि पर्चे में उनके उम्मीदवार का नाम गलत है. ऐसे में उनका पर्चा रद्द हो गया. इसमें बीजेपी की क्या गलती है.

इस पूरे मामले में अब बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े का मानना है कि उनकी पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवारों से अपने पर्चे वापस लेने का अनुरोध किया था.

सूरत शहर के बीजेपी अध्यक्ष निरंजन ज़ांज़मेरा ने DDN को बताया है कि जब पता चला कि कांग्रेस उम्मीदवार के फॉर्म में गड़बड़ी है तो उनकी पार्टी के नेता सक्रिय हो गए.

सूरत में कुल 15 नामांकन पत्र भरे गए. इनमें कांग्रेस के नीलेश कुंभानी समेत 6 फॉर्म रद्द हो गए.

इस तरह बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल को छोड़कर आठ उम्मीदवारों के फॉर्म बचे थे. लेकिन इन आठ उम्मीदवारों ने भी अपने फॉर्म वापस ले लिए. लिहाज़ा मुकेश दलाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया.

कांग्रेस का आरोप है कि पूरी घटना बीजेपी के इशारे पर हुई है, जबकि बीजेपी ने इससे इनकार किया है.

समर्थकों की भूमिका पर भी संदेह?

रमेशभाई बलवंतभाई पोलारा, जगदीश नागजीभाई सावलिया और ध्रुविन धीरूभाई धमेलिया ने नीलेश कुंभानी के समर्थक के रूप में हस्ताक्षर किए थे. जगदीश सावलिया नीलेश कुम्भानी के जीजा हैं, वहीं ध्रुविन धमेलिया उनके भतीजे हैं और रमेश पोलारा उनके बिज़नेस पार्टनर रहे हैं.

चूंकि ये तीन लोग नीलेश कुंभानी के सबसे निजी व्यक्तियों में से हैं, इसलिए सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में जाकर एक हलफनामा क्यों दायर किया कि कुंभानी के नामांकन पत्र में उनके हस्ताक्षर झूठे थे. इस घटना के बाद ये समर्थक भी संपर्क से बाहर हो गए हैं.

नीलेश कुंभानी के मामले में आख़िर क्या हुआ? click here

ज़मीर शेख का आरोप है, “समर्थकों की भूमिका के साथ कुंभानी की भूमिका भी संदिग्ध है. ऐसा लगता है कि सब कुछ हेरफेर किया गया है.”

कुंभानी ने पहले उमरा पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत लिखाई कि उनके समर्थकों का अपहरण कर लिया गया है लेकिन फिर वे गायब हो गए.

समर्थकों के अपहरण के आरोप पर सूरत के पूर्व मेयर जगदीश पटेल ने कहा, “चाहे चुनाव हो या न हो, कांग्रेस नेताओं का काम बीजेपी पर आरोप लगाना है. सभी की मौजूदगी में फॉर्म भरे गए हैं.”

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